मुझे निराकार परमात्मा से यह सब जगत् जल से बरफ के सदृश परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अन्तर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं, किंतु वास्तव में मैं उनमें स्थित नहीं हूँ ।।4।।
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The whole of this universe is permeated by me as unmanifest divinity, and all beings rest on the idea with in me. Therefore, really speaking, I am not present in them. (4)
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