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12:13, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-4 श्लोक-15 / Gita Chapter-4 Verse-15


एवं ज्ञात्वा कृतं पूर्वैरपि मुमुक्षुभि: ।
कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वै: पूर्वतरं कृतम् ।।15।।




पूर्वकाल के मुमुक्षुओं ने भी इस प्रकार जानकर ही कर्म किये हैं। इसलिये तू भी पूर्वजों द्वारा सदा से किये जाने वाले कर्मों को ही कर ।।15।।


Having known thus, action was performed even by the ancient seekers for liberation; therefore, you also perform such action as have been performed by the ancients from the beginning by the ancients from the beginning of time.(15)


पूर्वै: = पहिले होने वाले; मुमक्षुभि: =मुमुक्ष पुरुषों द्वारा; अपि = भी; एवम् = इस प्रकार; ज्ञात्वा = जानकर (ही) कर्म = कर्म; कृतम् = किया गया है; तत्मात् = इससे; त्वम् = तूं (भी); पूर्वैं: =पूर्वजों द्वारा; पूर्वतरम् कृतम् = सदा से किये हुए; कर्म = कर्म को; एव = ही; कुरु = कर



अध्याय चार श्लोक संख्या
Verses- Chapter-4

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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