"गीता 4:37": अवतरणों में अंतर
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क्योंकि हे < | क्योंकि हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! जैसे प्रज्वलित [[अग्नि]] [[ईंधन|ईंधनों]] को भस्ममय कर देता है, वैसे ही ज्ञानरूप अग्नि सम्पूर्ण कर्मों को भस्ममय कर देता है ।।37।। | ||
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13:04, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-37 / Gita Chapter-4 Verse-37
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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