"गीता 8:8": अवतरणों में अंतर
छो (1 अवतरण) |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
पाँचवे श्लोक में भगवान् का चिन्तन् करते-करते मरने वाले मनुष्यों की गति का वर्णन करके < | पाँचवे [[श्लोक]] में भगवान् का चिन्तन् करते-करते मरने वाले मनुष्यों की गति का वर्णन करके [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> के सातवें प्रश्न का संक्षेप में उत्तर दिया गया, अब उसी प्रश्न का विस्तारपूर्वक उत्तर देने के लिये अभ्यास योग के द्वारा मन को वश में करके भगवान् के 'अधियज्ञ' रूप का अर्थात् सगुण निराकार दिव्य अव्यक्त रूप का चिन्तन करने वाले योगियों की अन्तकालीन गति का तीन श्लोकों द्वारा वर्णन करते हैं | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 22: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! यह नियम है कि परमेश्वर के [[ध्यान]] के अभ्यास रूप योग से युक्त, दूसरी ओर न जाने वाले चित्त से निरन्तर चिन्तन करता हुआ मनुष्य परम प्रकाश स्वरूप दिव्य पुरुष को अर्थात् परमेश्वर को ही प्राप्त होता है ।।8।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति 59: | पंक्ति 57: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | {{महाभारत}} | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> |
08:49, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-8 / Gita Chapter-8 Verse-8
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||