"गीता 8:22": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! जिस परमात्मा के अन्तर्गत सर्वभूत हैं और जिस सच्चिदानन्दघन परमात्मा से यह सब जगत् परिपूर्ण है, वह सनातन अव्यक्त परम पुरुष तो अनन्य [[भक्ति]] से ही प्राप्त होने योग्य है ।।22।। | ||
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09:30, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-22 / Gita Chapter-8 Verse-22
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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