"गीता 8:27": अवतरणों में अंतर
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अब उन दोनों मार्गों को जानने वाले योगी की प्रशंसा करके अर्जुन को योगी बनने के लिये कहते हैं- | अब उन दोनों मार्गों को जानने वाले योगी की प्रशंसा करके [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को योगी बनने के लिये कहते हैं- | ||
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।</ref> ! इस प्रकार इन दोनों मार्गों को तत्त्व से जानकर कोई भी योगी मोहित नहीं होता। इस कारण हे [[अर्जुन]] ! तू सब काल में समबुद्धि रूप योग से युक्त हो अर्थात् निरन्तर मेरी प्राप्ति के लिये साधन करने वाला हो ।।27।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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09:40, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-27 / Gita Chapter-8 Verse-27
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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