"गीता 8:19": अवतरणों में अंतर
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यद्यपि < | यद्यपि [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य स्रष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।</ref> की रात्रि के आरम्भ में समस्त भूत अव्यक्त में लीन हो जाते हैं, तथापि जब तक वे परम पुरुष परमेश्वर को प्राप्त नहीं होते, तब तक उनका पुनर्जन्म पिंड नहीं छूटता, वे आवागमन के चक्कर में घूमते ही रहते हैं। इसी भाव को दिखलाने के लिये भगवान् कहते हैं – | ||
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! वहीं यह भूत समुदाय उत्पन्न हो- होकर प्रकृति के वश में हुआ रात्रि के प्रवेश काल में लीन होता है और दिन के प्रवेश काल में फिर उत्पन्न होता है ।।19।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:28, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-19 / Gita Chapter-8 Verse-19
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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