"गीता 4:10": अवतरणों में अंतर
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पूर्व श्लोकों में भगवान् ने यह बात कही कि मेरे जन्म और कर्मों को जो दिव्य समझ लेते हैं, उन अनन्यप्रेमी भक्तों को मेरी प्राप्ति हो जाती है; इस पर यह जिज्ञासा होती है कि उनको आप किस प्रकार और किस रूप में मिलते हैं ? इस पर कहते हैं | पूर्व [[श्लोक|श्लोकों]] में भगवान् ने यह बात कही कि मेरे जन्म और कर्मों को जो दिव्य समझ लेते हैं, उन अनन्यप्रेमी [[भक्त|भक्तों]] को मेरी प्राप्ति हो जाती है; इस पर यह जिज्ञासा होती है कि उनको आप किस प्रकार और किस रूप में मिलते हैं ? इस पर कहते हैं | ||
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11:57, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-10 / Gita Chapter-4 Verse-10
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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