"गीता 4:8": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार भगवान् अपने दिव्य जन्मों के अवसर, हेतु और उद्देश्य का वर्णन करके अब उन जन्मों की और उनमें किये जाने वाले कर्मों की दिव्यता को | इस प्रकार भगवान् अपने दिव्य जन्मों के अवसर, हेतु और उद्देश्य का वर्णन करके अब उन जन्मों की और उनमें किये जाने वाले कर्मों की दिव्यता को तत्त्व से जानने का फल बतलाते हैं- | ||
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साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिये, पाप-धर्म करने वालों का विनाश करने के लिये और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिये मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ ।।8।। | साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिये, पाप-धर्म करने वालों का विनाश करने के लिये और [[धर्म]] की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिये मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ ।।8।। | ||
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साधूनाम् = साधुपुरुषों का; परित्राणाय = | साधूनाम् = साधुपुरुषों का; परित्राणाय = उद्धार करने के लिये; च = और; दुष्कृताम् = दूषित कर्म करने वालों का; विनाशाय = नाश करने के लिये (तथा ); धर्मसंस्थापनार्थाय = धर्म स्थापन करने के लिये; युगे = युग; युगे = युग में; संभावामि =प्रकट होता हूं। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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14:12, 17 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-8 / Gita Chapter-4 Verse-8
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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