"गीता 9:11": अवतरणों में अंतर
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अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार विज्ञान सहित ज्ञान का वर्णन करते हुए भगवान् ने चौथे से छठे श्लोक तक प्रभाव सहित सगुण-निराकार स्वरूप का | अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार विज्ञान सहित ज्ञान का वर्णन करते हुए भगवान् ने चौथे से छठे श्लोक तक प्रभाव सहित सगुण-निराकार स्वरूप का तत्त्व समझाया । फिर सातवें से दसवें श्लोक तक सृष्टि- रचनादि समस्त कर्मों में अपनी असंगता और निर्विकारता दिखलाकर उन कर्मों की दिव्यता का तत्त्व बतलाया । अब अपने सगुण-साकार रूप का महत्व, उसकी भक्त का प्रकार और उसके गुण और प्रभाव का तत्त्व समझाने के लिये पहले दो श्लोकों में उसके प्रभाव को न जानने वाले असुर-प्रकृति के मनुष्यों की निन्दा करते हैं- | ||
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07:00, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-11 / Gita Chapter-9 Verse-11
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