"गीता 8:16": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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भगवत्प्राप्त महात्मा पुरुषों का पुनर्जन्म नहीं होता, इस कथन से यह प्रकट होता है कि दूसरे जीवों का पुनर्जन्म होता | भगवत्प्राप्त महात्मा पुरुषों का [[पुनर्जन्म]] नहीं होता, इस कथन से यह प्रकट होता है कि दूसरे जीवों का पुनर्जन्म होता है। अत: यहाँ यह जानने की इच्छा होती है कि किस लोक तक पहुँचे हुए जीवों को वापस लौटना पड़ता है। इस पर भगवान् कहते हैं- | ||
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं, परंतु हे [[कुन्ती]]<ref>ये [[वसुदेव|वसुदेवजी]] की बहन और भगवान [[श्रीकृष्ण]] की बुआ थीं। [[महाभारत]] में महाराज [[पाण्डु]] की ये पत्नी थीं।</ref> पुत्र ! मुझ को प्राप्त होकर [[पुनर्जन्म]] नहीं होता; क्योंकि मैं कालातीत हूँ और यह सब ब्रह्मदि के लोक काल के द्वारा सीमित होने से अनित्य हैं ।।16।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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09:15, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-16 / Gita Chapter-8 Verse-16
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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