जो पुरुष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियन्ता, सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारण-पोषण करने वाले अचिन्त्य स्वरूप, सूर्य[1] के सदृश नित्य चेतन प्रकाश रूप और अविधा से अति परे, शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का स्मरण करता है ।।9।।
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He who contemplates on the all- wise, ageless beings, the ruler of all, subtler than the subtle, the universal sustainer, possessing a form beyond human conception, refulgent like the sun and far beyond the darkness of ignorance. (9)
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