जो-जो सकाम भक्त, जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है, उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूँ ।।21।।
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Whatever celestial form a devotee craving for some worldly object chooses to worship with reverence, I stabilize the faith of that particular devotee in that very form. (21)
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