परंतु निष्काम भाव से श्रेष्ठ कर्मों का आचरण करने वाले जिन पुरुषों का पाप नष्ट हो गया है, वे राग-द्वेषजनित द्वन्द्वरूप मोह से मुक्त दृढनिश्चयी भक्त मुझ को सब प्रकार से भजते हैं ।।28।
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But those men of virtuous deeds whose sins have come to an end, being freed from delusion in the shape of pairs of opposites born of attraction and repulsion, worship me with a firm resolve in every way. (28)
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