"गीता 2:21": अवतरणों में अंतर
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आत्मा का जो एक शरीर से सम्बन्ध छूटकर दूसरे शरीर से सम्बन्ध होता है, उसमें उसे अत्यन्त कष्ट होता है; अत: उसके लिये शोक करना कैसे अनुचित है ? इस पर कहते हैं- | [[आत्मा]] का जो एक शरीर से सम्बन्ध छूटकर दूसरे शरीर से सम्बन्ध होता है, उसमें उसे अत्यन्त कष्ट होता है; अत: उसके लिये शोक करना कैसे अनुचित है? इस पर कहते हैं- | ||
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हे पृथापुत्र < | हे पृथापुत्र [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! जो पुरुष इस [[आत्मा]] को नाशरहित, नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह पुरुष कैसे किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ।।21।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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06:40, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-21 / Gita Chapter-2 Verse-21
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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