"गीता 9:8": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 18: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतन्त्र | अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतन्त्र हुए इस सम्पूर्ण भूत समुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ ।।8।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति 52: | पंक्ति 51: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
10:14, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-8 / Gita Chapter-9 Verse-8
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||