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इस सम्पूर्ण जगत् का धाता अर्थात् धारण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला, [[पिता]], [[माता]], पितामह, जानने योग्य, पवित्र ओंकार तथा [[ॠग्वेद]], [[सामवेद]] और [[यजुर्वेद]] भी मैं ही हूँ ।।17।।


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10:33, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-9 श्लोक-17 / Gita Chapter-9 Verse-17

पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामह: ।
वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक्साम यजुरेव च ।।17।।



इस सम्पूर्ण जगत् का धाता अर्थात् धारण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला, पिता, माता, पितामह, जानने योग्य, पवित्र ओंकार तथा ॠग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ ।।17।।

I am the sustainer and ruler of this universe, its fater, mother and grandfather, the one worth knowing , the purifier, the sacred syllable OM and the three Vedas-RK, Yajus and sama. (17)


अस्य = इस ; जगत: = संपूर्ण जगत् का ; धाता = घाता अर्थात् धारण पोषण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला ; पिता = पिता ; माता = माता (और) ; पितामह: = पितामह (हूं) ; च = और ; वेद्यम् = जानने योग्य ; पवित्रम् = पवित्र ; ओंकार: = ओंकार (तथा) ; ऋक् = ऋग्वेद ; साम = सामवेद (और) ; यजु: = यजुर्वेद (भी) ; अहम् = मैं ; एव = ही हूं;



अध्याय नौ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-9

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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