"गीता 9:20": अवतरणों में अंतर
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तीनों [[वेद|वेदों]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> में विधान किये हुए सकाम कर्मों को करने वाले, सोम रस<ref>[[वेद|वेदों]] में वर्णित सोमरस का पौधा जिसे सोम कहते हैं, जो [[अफ़ग़ानिस्तान]] की पहाड़ियों पर ही पाया जाता है।</ref> को पीने वाले, पाप रहित पुरुष मुझको यज्ञों के द्वारा पूजकर स्वर्ग की प्राप्ति चाहते हैं; वे पुरुष अपने पुण्यों के फलरूप स्वर्गलोक को प्राप्त होकर स्वर्ग में दिव्य [[देवता|देवताओं]] के भोगों को भोगते हैं ।।20।। | तीनों [[वेद|वेदों]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> में विधान किये हुए सकाम कर्मों को करने वाले, [[सोम रस]]<ref>[[वेद|वेदों]] में वर्णित सोमरस का पौधा जिसे सोम कहते हैं, जो [[अफ़ग़ानिस्तान]] की पहाड़ियों पर ही पाया जाता है।</ref> को पीने वाले, पाप रहित पुरुष मुझको यज्ञों के द्वारा पूजकर स्वर्ग की प्राप्ति चाहते हैं; वे पुरुष अपने पुण्यों के फलरूप स्वर्गलोक को प्राप्त होकर स्वर्ग में दिव्य [[देवता|देवताओं]] के भोगों को भोगते हैं ।।20।। | ||
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10:43, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-20 / Gita Chapter-9 Verse-20
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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