"गीता 9:6": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
पूर्व [[श्लोक|श्लोकों]] में भगवान् समस्त भूतों को अपने अव्यक्तरूप से व्याप्त और उसी में स्थित बतलाया। अत: इस विषय को स्पष्ट जानने की इच्छा होने पर दृष्टान्त द्वारा भगवान् उसका स्पष्टीकरण करते हैं- | |||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो | '''यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो महान् ।'''<br /> | ||
'''तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय ।।6।।''' | '''तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय ।।6।।''' | ||
</div> | </div> | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 21: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
जैसे आकाश से उत्पन्न सर्वत्र विचरने वाला | जैसे [[आकाश]] से उत्पन्न सर्वत्र विचरने वाला महान् [[वायु देव|वायु]] सदा आकाश में ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्प द्वारा उत्पन्न होने से सम्पूर्ण भूत मुझ में स्थित हैं, ऐसा जान ।।6।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 31: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
यथा = जैसे (आकाश से उत्पन्न हुआ) ; सर्वत्रग: = सर्वत्र विचरने वाला ; | यथा = जैसे (आकाश से उत्पन्न हुआ) ; सर्वत्रग: = सर्वत्र विचरने वाला ; महान् = महान् ; वायु: = वायु ; नित्यम् = सदा ही ; आकाशस्थित: = आकाश में स्थित है ; तथा = वैसे ही (मेरे संकल्प द्वारा उत्पत्ति वाले होने से) ; सर्वाणि = संपूर्ण ; भूतानि = भूत ; मत्स्थानि = मेरे में स्थित हैं ; इति = ऐसे ; उपधारय = जान ; | ||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति 56: | पंक्ति 55: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
14:17, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-6 / Gita Chapter-9 Verse-6
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||