♦ यहाँ आप भारत की पर्यटन संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
♦ विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पर्यटक वे लोग हैं जो "यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं, यह दौरा ज़्यादा से ज़्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार या अन्य उद्देश्यों से किया जाता है।
♦ पर्यटन के अनेक प्रकार हैं जैसे- सांस्कृतिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य, धार्मिक, शैक्षिक, पुरातत्व, विरासत-परम्परा, रोमांचक और वन्य जीवन आदि
पर्यटन मुखपृष्ठ
♦ प्राचीन काल से ही भारत एक अत्यन्त ही विविधता सम्पन्न देश रहा है और यह विशेषता आज भी समय की घड़ी पर अंकित है।
♦ पर्यटन दुनिया भर में एक आरामपूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है और एक व्यवसाय के रूप में विकसित हो रहा है।
♦ 2007 में, 903 मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, 2006 की तुलना में 6.6% की वृद्धि दर्ज की गई। 2007 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियाँ अमरीकी डॉलर 856 अरब थी।
दुनिया को भारत का खजुराहो के कलात्मक मंदिर एक अनमोल तोहफ़ा हैं। खजुराहो, भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।
खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। चंदेल शासकों ने इन मंदिरों की तामीर सन 900 से 1130 ईसवी के बीच करवाई थी।
खजुराहो का प्राचीन नाम खर्जुरवाहक है। चंदेल राजाओं ने क़रीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों की तामीर करवाई थी लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ़ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है।
इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरूनी (1022 ईसवी) तथा अरब मुसाफ़िर इब्न बतूता का है।
यह क्षेत्र प्राचीन काल में वत्स के नाम से, मध्यकाल में जैजाक्भुक्ति नाम से तथा चौदहवीं सदी के बाद बुन्देलखन्ड के नाम से जाना गया।
खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई मालूम होती हैं।
यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती।
खजुराहो, महोबा से 54 किलोमीटर दक्षिण में, छतरपुर से 45 किलोमीटर पूर्व और सतना ज़िले से 105 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है तथा निकटतम रेलवे स्टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और झाँसी से पक्की सड़कों से खजुराहो अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। .... और पढ़ें
अनुपम वस्तुशिल्प, मधुर लोक सगींत, विपुल सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को अपने मे संजोये हुये जैसलमेर स्वर्ण नगरी के रुप मे विख्यात है।
जैसलमेर, पश्चिमोत्तर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। इसकी पश्चिम-उत्तरी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है तथा उत्तर-पूर्व में बीकानेर, दक्षिण में बाड़मेर तथा पूर्व में इसकी सीमा जोधपुर से मिलती है।
पीले भूरे पत्थरों से निर्मित भवनों के लिए विख्यात जैसलमेर की स्थापना 1156 में राजपूतों के सरदार रावल जैसल ने की थी।
भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा।
जैसलमेर, राजस्थान में पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर शहर के निकट एक पहाड़ी पर बने हुए दुर्ग में राजमहल, कई प्राचीन जैन मंदिर और ज्ञान भंडार नामक एक पुस्तकालय है, जिसमें प्राचीन संस्कृत तथा प्राकृत पांडुलिपियाँ रखी हुई हैं।
जैसलमेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में सर्वप्रमुख यहाँ का क़िला है। यह स्थापत्य का सुंदर नमूना है। इसमें बारह सौ घर हैं।
जैसलमेर शहर ऊन, चमड़ा, नमक, मुलतानी मिट्टी, ऊँट और भेड़ का व्यापार करने वाले कारवां का प्रमुख केंद्र है।
जैसलमेर राज्य का संपूर्ण भाग रेतीला व पथरीला होने के कारण यहाँ का तापमान मई-जून में अधिकतम 48० सेंटीग्रेड तथा दिसम्बर-जनवरी में न्यूनतम 4० सेंटीग्रेड रहता है .... और पढ़ें