गीता 9:19

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गीता अध्याय-9 श्लोक-19 / Gita Chapter-9 Verse-19

तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्णाम्युत्सृजामि च ।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन ।।19।।



मैं ही <balloon link="सूर्य " title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon> रूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ । हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत् असत् भी मैं ही हूँ ।।19।।

I radiate heat as the sun, and hold back as well as send forth showers, Arjuna. I am immortality as well as death; even so I am being and non-being both. (19)


अहम् = मैं (ही) ; तपामि = सूर्यरूप हुआ तपता हूं (तथा) ; वर्षम् = वर्षाको ; निगृण्हामि = आकर्षण करता हूं ; च = और ; मृत्यु: = मृत्यु (एवं) ; सत् = सत् ; च = और ; च = और ; उत्सृजामि = वर्षाता हूं ; च = और ; अर्जुन = हे अर्जुन ; अहम् = मैं (ही) ; अमृतम् = अमृत ; असत् = असत् (भी) (सब कुछ) ; अहम् = मैं ; एव = ही हूं ;



अध्याय नौ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-9

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)