जो अनन्य प्रेमी भक्त जन मुझ परमेश्वर को निरन्तर चिन्तन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं, उन नित्य-निरन्तर मेरा चिन्तन करने वाले पुरुषों का योग क्षेम में स्वयं प्राप्त कर देता हूँ ।।22।।
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The devotees, however, who loving no one else constantly think of me, and worship me in a disinterested spirit, to those ever united in thought with me I bring full security and personally attend to their needs.(22)
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