मैं ही <balloon link="सूर्य " title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon> रूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ । हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत् असत् भी मैं ही हूँ ।।19।।
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I radiate heat as the sun, and hold back as well as send forth showers, Arjuna. I am immortality as well as death; even so I am being and non-being both. (19)
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