अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतन्त्र हुए इस सम्पूर्ण भूत समुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ ।।8।।
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Wielding my nature I release, again and again,(according to their respective actions) all this multitude of beings subject to the influence of their own nature. (8)
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