पहले यह कौशल देश की दूसरी राजधानी थी। भगवान राम के पुत्र लव कुश ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।
श्रावस्ती बौद्ध और जैन दोनों का तीर्थ स्थान है, यहाँ के श्रेष्ठी 'अनाथपिण्डिक' ने भगवान बुद्ध के लिये जेतवन विहार बनवाया था, आजकल यहाँ बौद्ध धर्मशाला, मठ और मन्दिर है।
एक बौद्धग्रन्थ के अनुसार वहाँ 57 हज़ार कुल रहते थे और कोसल-नरेशों की आमदनी सबसे ज़्यादा इसी नगर से हुआ करती थी।
गौतम बुद्ध के समय में भारतवर्ष के 6 बड़े नगरों में श्रावस्ती की गणना हुआ करती थी। .... और पढ़ें
पटना से 90 किलोमीटर दूर और बिहार शरीफ़ से क़रीब 12 किलोमीटर दक्षिण में, विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय नालंदा के खण्डहर स्थित हैं।
गुप्तकालीन सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 415-454 ईसा पूर्व नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
नालंदा संस्कृत शब्द 'नालम् + दा' से बना है। संस्कृत में 'नालम' का अर्थ 'कमल' होता है। कमल ज्ञान का प्रतीक है। नालम् + दा यानी कमल देने वाली, ज्ञान देने वाली। कालक्रम से यहाँ महाविहार की स्थापना के बाद इसका नाम 'नालंदा महाविहार' रखा गया।
प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था।
नालंदा के विद्यार्थियों के द्वारा ही एशिया में भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विस्तृत प्रचार व प्रसार हुआ था। यहाँ के विद्यार्थियों और विद्वानों की मांग एशिया के सभी देशों में थी और उनका सर्वत्रादर होता था। .... और पढ़ें