हे अर्जुन[1] ! मुझ अधिष्ठाता के सकाश से प्रकृति चराचर सहित सर्व जगत् को रचती है और इस हेतु से ही यह संसार चक्र घूम रहा है ।।10।।
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Arjuna; with me as the supervisor, nature brings forth the whole creation, consisting of both sentient and insentient beings; it is due to this cause that the wheel of world is going round. (10)
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