वे दृढ़ निश्चय वाले भक्त जन निरन्तर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिये यत्न करते हुए और मुझ को बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं ।।14।।
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Constantly chanting my names and glories and striving for my realization , and bowing again and again to me, those devotees of firm resolve, ever united with me through meditation, worship me with single-minded devotion. (14)
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