"गीता 2:3": अवतरणों में अंतर
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इसलिये हे < | इसलिये हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परन्तप<ref>पार्थ, भारत, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।</ref> ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिये खड़ा हो जा ।।3।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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13:58, 3 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-3 / Gita Chapter-2 Verse-3
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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