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*[[महाभारत]] काल के पूर्व प्रव्रज्या का मार्ग सभी वर्णों के लिए खुला था। | *[[महाभारत]] काल के पूर्व प्रव्रज्या का मार्ग सभी वर्णों के लिए खुला था। | ||
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12:41, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
प्रव्रज्या को सन्न्यास आश्रम कहा जाता है। इसका प्रयोग सन्न्यास या भिक्षु धर्म ग्रहण करने की विधि के अर्थ में होता है।
- महाभारत काल के पूर्व प्रव्रज्या का मार्ग सभी वर्णों के लिए खुला था।
- प्रव्रज्या आश्रम में उपनिषद में जनश्रुति शूद्र को भी मोक्ष मार्ग का उपदेश दिया गया है और युवा श्वेतकेतु को तत्त्व प्राप्ति का उपदेश मिला है।
- महाभारत काल में यह बात मानी जाती थी तथापि यथार्थ में लोग समझने लगे कि ब्राह्मण और विशेषत चतुर्थाश्रमी ही मोक्ष मार्ग के पात्र हैं।
- महाभारत काल में प्रव्रज्या का मान बहुत बढ़ा हुआ जान पड़ता है। उन दिनों वैदिक धार्मियों की प्रव्रज्या बहुत कठिन थी।
- बौद्धों तथा जैनों ने उसको बहुत सस्ता कर डाला और बहुतों के लिए वह पेट भरने का साधन मात्र हो गयी।
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