"गीता 2:54": अवतरणों में अंतर

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08:43, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-2 श्लोक-54 / Gita Chapter-2 Verse-54

प्रसंग-


पूर्व श्लोक में अर्जुन[1] ने परमात्मा को प्राप्त हुए सिद्ध योगी के विषय में चार बातें पूछी हैं; इन चारों बातों का उत्तर भगवान् ने अध्याय की समाप्ति पर्यन्त दिया है, बीच में प्रसंगवश दूसरी बातें भी कही हैं। इस अगले श्लोक में अर्जुन के पहले प्रश्न का उत्तर संक्षेप में देते हैं


स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव ।
स्थितधी: किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम् ।।54।।




क्या लक्षण है ? वह स्थिर बुद्धि पुरुष कैसे बोलता है, कैसे बैठता है और कैसे चलता है ?।।54।।


Arjuna said: Krishna, what is the definition (mark) of a God-realized soul, stable to mind and established in Samadhi (perfect tranquilllity of mind) ? How does the man of stable mind speak, how does he sit, how does he walk? (54).


केशव = हे केशव ; समाधिस्थस्य = यमाधिमें स्थित ; स्थितप्रज्ञस्य = स्थिरबुद्धिवाले पुरुषका ; का = क्या ; भाषा = लक्षण है (और) ; स्थितधी: = स्थिरबुद्धि पुरुष ; किम् = कैसे ; प्रभाषेत = बोलता है ; किम् = कैसे ; आसीत = बैठता है ; किम् = कैसे ; व्रजेत = चलता है



अध्याय दो श्लोक संख्या
Verses- Chapter-2

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।

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