"गीता 2:15": अवतरणों में अंतर
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क्योंकि हे पुरुष श्रेष्ठ ! दु:ख-सुख को समान समझने वाले जिस धीर पुरुष को ये [[ | क्योंकि हे पुरुष श्रेष्ठ ! दु:ख-सुख को समान समझने वाले जिस धीर पुरुष को ये [[इन्द्रियाँ]] और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते, वह मोक्ष के योग्य होता है ।।15।। | ||
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06:28, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-15 / Gita Chapter-2 Verse-15
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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