"गीता 7:6": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार भगवान् की समस्त विश्व के परमकरण और परमाधार हैं, तब स्वभावत: ही यह भगवान् स्वरूप है और उन्हीं से व्याप्त | इस प्रकार भगवान् की समस्त विश्व के परमकरण और परमाधार हैं, तब स्वभावत: ही यह भगवान् स्वरूप है और उन्हीं से व्याप्त है। अब इसी बात को स्पष्ट करने के लिये भगवान् कहते हैं- | ||
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! तू ऐसा समझ कि सम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से ही उत्पन्न होने वाले हैं और मैं सम्पूर्ण जगत् का प्रभव तथा प्रलय हूँ अर्थात् सम्पूर्ण जगत् का मूल कारण हूँ ।।6।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:29, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-7 श्लोक-6 / Gita Chapter-7 Verse-6
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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