"गीता 2:45": अवतरणों में अंतर
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त्रैगुण्यविषया: = तीनों गुणोंके कार्यरूप संसारको विषय करनेवाले | त्रैगुण्यविषया: = तीनों गुणोंके कार्यरूप संसारको विषय करनेवाले अर्थात् प्रकाश करने वाले हैं (इसलिये तूं) ; निस्त्रैगुण्य: = असंसारी अर्थात् निष्कामी (और) ; निर्द्वन्द्व: = सुख दु:खादि द्वन्द्वोंसे रहित ; नित्यसत्वस्थ: = नित्य वस्तुमें स्थित (तथा) ; निर्योगश्रेम: = योग क्षेमको न चाहनेवाला (और) ; आत्मवान् = आत्मपरायण ; भव = हो ; | ||
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07:51, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-45 / Gita Chapter-2 Verse-45
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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