"गीता 2:28": अवतरणों में अंतर
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आत्म तत्त्व अत्यन्त दुर्बोध होने के कारण उसे समझाने के लिये भगवान् ने उपर्युक्त श्लोकों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार से उसके स्वरूप का वर्णन किया। अब अगले श्लोक में उस आत्म | आत्म तत्त्व अत्यन्त दुर्बोध होने के कारण उसे समझाने के लिये भगवान् ने उपर्युक्त श्लोकों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार से उसके स्वरूप का वर्णन किया। अब अगले श्लोक में उस आत्म तत्त्व दर्शन, वर्णन और श्रवण की अलौकिकता और दुर्लभता का निरूपण करते हैं- | ||
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06:59, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-28 / Gita Chapter-2 Verse-28
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