"गीता 7:10": अवतरणों में अंतर

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हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! तू सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज मुझ को ही जान । मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज हूँ ।।10।।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! तू सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज मुझ को ही जान । मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज़ हूँ ।।10।।


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11:37, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

गीता अध्याय-7 श्लोक-10 / Gita Chapter-7 Verse-10


बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम् ।
बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम् ।।10।।



हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! तू सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज मुझ को ही जान । मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज़ हूँ ।।10।।

Arjuna, know me the eternal seed of all beings. I am the intelligence of the intelligent; the glory of the glorious am I.(10)


पार्थ = हे अर्जुन; सर्वभूतानाम् =संपूर्ण भूतों का; सनातनम् = सनातन; बीजम् = कारण; माम् =मेरे को ही; विद्वि = जान; अहम् =मैं; बुद्विमताम् = बुद्विमानों की; बुद्वि: = बुद्वि; तेजस्विनाम् = तेजस्वियों का; तेज: =तेज; अस्मि = हूं



अध्याय सात श्लोक संख्या
Verses- Chapter-7

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)