"गीता 2:48": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार कर्मयोग की प्रक्रिया बतलाकर अब सकाम भाव की निन्दा और समभाव रूप बुद्धि योग का | इस प्रकार कर्मयोग की प्रक्रिया बतलाकर अब सकाम भाव की निन्दा और समभाव रूप बुद्धि योग का महत्त्व प्रकट करते हुए भगवान् <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को उसका आश्रय लेने के लिये आज्ञा देते हैं- | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को उसका आश्रय लेने के लिये आज्ञा देते हैं- | ||
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10:26, 13 मार्च 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-48 / Gita Chapter-2 Verse-48
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