श्रीभगवान् बोले
हे अर्जुन[1] ! तू न शोक करने योग्य मनुष्यों के लिये शोक करता है और न ही पण्डितों के से वचनों को कहता है, परंतु जिनके प्राण चले गये हैं, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं, उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते ।।11।।
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Sri Bhagavan said:
Arjuna, you grieve over those who should not be grieved for, and yet speak like the learned, wise men do not sorrow over the dead or the living.(11)
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