क्योंकि हे पुरुष श्रेष्ठ ! दु:ख-सुख को समान समझने वाले जिस धीर पुरुष को ये इन्द्रियां और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते, वह मोक्ष के योग्य होता है ।।15।।
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Arjuna, the wise man to whom pain and pleasure are alike, and who is not tormented by these contacts, becomes eligible for immortality.(15).
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