हे <balloon link="कुन्ती" title="ये वसुदेवजी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं। महाभारत में महाराज पाण्डु की पत्नी । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">कुन्ती</balloon> पुत्र ! सर्दी-गर्मी और सुख-दु:ख को देने वाले इन्द्रिय और विषयों के संयोग तो उत्पत्ति, विनाशशील और अनित्य हैं, इसलिये हे <balloon title="भारत, पार्थ, पृथा-पुत्र, परन्तप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">भारत</balloon> ! उनको तू सहन कर ।।14।।
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O son of Kunti, the contacts between the senses and their objects, which give rise to the feeling of heat and cold, pleasure and pain etc., are transitory and fleeting, therefore, Arjuna, ignore them.(14)
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