इसलिये हे अर्जुन[1] ! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परन्तप[2] ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिये खड़ा हो जा ।।3।।
|
Yield not to unmanliness, Arjuna ill does it become you. shaking off this paltry faint-heartedness stand up, O scorcher of enemies.(3)
|