हे धनंजय[1] ! मुझसे भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत् सूत्र में सूत्र के मणियों के सदृश मेरे में गुँथा हुआ है ।।7।।
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There is nothing else besides me, Arjuna. Like clusters of yarn-beads by knots on a thread, all this is threaded on me.(7)
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