"गीता 10:17": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे योगेश्वर<ref>मधुसूदन, केशव, योगेश्वर, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! मैं किस प्रकार निरन्तर चिन्तन करता हुआ आपको जानूँ और हे भगवान् ! आप किन-किन भावों में मेरे द्वारा चिन्तन करने योग्य हैं ? ।।17।। | ||
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{{ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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12:25, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-17 / Gita Chapter-10 Verse-17
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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