श्रेणी:काव्य कोश
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इ
- इंद्रधनुष -कन्हैयालाल नंदन
- इक दिन ऐसा होइगा -कबीर
- इत पर घर उत घर -कबीर
- इतवार -अनूप सेठी
- इन गुलों का रंग-खुशबू खो न जाये -शिवकुमार बिलगरामी
- इनसे मिलिए -दुष्यंत कुमार
- इन्तिसाब -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- इन्दिरा के मन्दिर -देव
- इश्क की दस्तक : पनामा सिगरेट -नीलम प्रभा
- इस अदा से वो वफ़ा करते हैं -दाग़ देहलवी
- इस उठान के बाद नदी -अजेय
- इस तरह ढक्कन लगाया रात ने -माखन लाल चतुर्वेदी
- इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है -दुष्यंत कुमार
- इस समय वह शहर उदास है -रोहित ठाकुर
- इसंत न बाँधे गाठरी -कबीर
- इसका रोना -सुभद्रा कुमारी चौहान
- इहि औसरि चेत्या नहीं -कबीर
- इहि तनु ऐसा जैसे घास की टाटी -रैदास
- इहै अंदेसा सोचि जिय मेरे -रैदास
ई
उ
- उक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- उचित बसए मोर -विद्यापति
- उजियारे कवि
- उजियारे लाल
- उज्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं -दाग़ देहलवी
- उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी
- उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल
- उत्तर -महादेवी वर्मा
- उत्तरा -सुमित्रानन्दन पंत
- उत्सव मनाना छोड़ ज़िंदगी -सीमा सिंघल
- उत्साह -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- उदास न हो -साहिर लुधियानवी
- उधो, मन नाहीं दस बीस -सूरदास
- उन सबके लिए जो निर्वासित हैं -रोहित ठाकुर
- उनके एक जां-निसार हम भी हैं -दाग़ देहलवी
- उपदेश -शिवदीन राम जोशी
- उपदेश का अंग -कबीर
- उपमा हरि तनु देखि लजानी -सूरदास
- उपसंहार
- उपालंभ काव्य
- उपालम्भ -माखन लाल चतुर्वेदी
- उपेक्षा -सुभद्रा कुमारी चौहान
- उमीदों के कई रंगीं फ़साने -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- उम्मीद -अनूप सेठी
- उर तिमिरमय घर तिमिरमय -महादेवी वर्मा
- उर्वशी -रामधारी सिंह दिनकर
- उल्लास -सुभद्रा कुमारी चौहान
- उस प्रभात, तू बात न माने -माखन लाल चतुर्वेदी
- उसे क्या कहूँ -दुष्यंत कुमार
ऊ
- ऊँची उड़ान फिर -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- ऊजल कपड़ा पहिरि करि -कबीर
- ऊधो कहाँ गये मेरे श्याम -कैलाश शर्मा
- ऊधो, मन माने की बात -सूरदास
- ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं -सूरदास
- ऊधो, हम लायक सिख दीजै -सूरदास
- ऊधो, होहु इहां तैं न्यारे -सूरदास
- ऊधौ, कर्मन की गति न्यारी -सूरदास
- ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा -माखन लाल चतुर्वेदी
ए
- ए धनि माननि करह संजात -विद्यापति
- ए रहीम दर दर फिरहिं -रहीम
- एअर कंडीशन नेता -काका हाथरसी
- एक अंत:कथा -गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक आशीर्वाद -दुष्यंत कुमार
- एक इमरोज़ चाहिए -नीलम प्रभा
- एक कवि कहता है -राजेश जोशी
- एक खड़े ही ना लहैं -कबीर
- एक तुम हो -माखन लाल चतुर्वेदी
- एक तुम्हारा चित्र बनाया -दिनेश सिंह
- एक तेरे बिना प्राण ओ प्राण के -गोपालदास नीरज
- एक नदी जिसे हम पीना चाहते हैं -अजेय
- एक नाम अधरों पर आया -कन्हैयालाल नंदन
- एक पत्र -रामधारी सिंह दिनकर
- एक परिवार की कहानी -अवतार एनगिल
- एक बुद्ध कविता में करुणा ढूँढ रहा है -अजेय
- एक बूँद -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- एक भूतपूर्व विद्रोही का आत्म-कथन -गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक मन्जर -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- एक मिस्ड काल -अशोक कुमार शुक्ला
- एक मौक़ा मृत्यु के बाद -वंदना गुप्ता
- एक लड़की जब रोती है -रोहित ठाकुर
- एक लड़की सोचती है -रोहित ठाकुर
- एक विलुप्त कविता -रामधारी सिंह दिनकर
- एक शहर की कहानी -अवतार एनगिल
- एक शहरे आशोब -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- एक संस्कार ऋण -अशोक कुमार शुक्ला
- एक सत्य -वंदना गुप्ता
- एक स्वप्न कथा -गजानन माधव मुक्तिबोध
- एकतरफ़ा प्रेम के स्वामी -वंदना गुप्ता
- एकनाथी भागवत
- एकहि साधै सब सधै -रहीम
- एकांतवासी योगी (खण्डकाव्य)
- एकै साधे सब सधै -रहीम
ऐ
- ऐ री सखी मोरे पिया घर आए -अमीर ख़ुसरो
- ऐ रोशनियों के शहर -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी
- ऐसा ध्यान धरूँ बनवारी -रैदास
- ऐसा यहु संसार है, जैसा सैंबल फूल -कबीर
- ऐसा वर दो -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- ऐसी भगति न होइ रे भाई -रैदास
- ऐसी मूढता या मन की -तुलसीदास
- ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं -रैदास
- ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै -रैदास
- ऐसे जानि जपो रे जीव -रैदास
- ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै -सूरदास
- ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै -रैदास
ओ
क
- कंटक माझ कुसुम परगास -विद्यापति
- कंबन
- कठण थयां रे माधव मथुरां जाई -मीरां
- कथनी-करणी का अंग -कबीर
- कदली सीप भुजंग मुख -रहीम
- कदली, सीप, भुजंग मुख -रहीम
- कब आओगे -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- कब तुम मोसो पतित उधारो -सूरदास
- कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति -तुलसीदास
- कब याद में तेरा साथ नहीं -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
- कबाड़ -अनूप सेठी
- कबीर अपने जीव तैं -कबीर
- कबीर इस संसार में -कबीर
- कबीर करनी क्या करै -कबीर
- कबीर कहता जात है -कबीर
- कबीर कहा गरबियो -कबीर
- कबीर कहा गरबियो ऊँचे देखि अवास -कबीर
- कबीर कहा गरबियो देही देखि सुरंग -कबीर
- कबीर कहा गरबियो, काल कर केस -कबीर
- कबीर कहा गरबियो, चाँम लपेटे हाड़ -कबीर
- कबीर कहै मैं कथि गया -कबीर
- कबीर का तूँ चिंतवै -कबीर
- कबीर किया कछु होत नहिं -कबीर
- कबीर की परिचई
- कबीर की साखियाँ -कबीर
- कबीर के पद -कबीर
- कबीर केवल राम कह -कबीर
- कबीर केवल राम की -कबीर
- कबीर गुर गरवा मिल्या -कबीर
- कबीर जे धंधै तो धूलि -कबीर
- कबीर तूँ काहै डरै -कबीर
- कबीर थोड़ा जीवना -कबीर
- कबीर दुविधा दूरि करि -कबीर
- कबीर देवल ढहि पड़ा -कबीर
- कबीर धूलि सकेलि करि -कबीर
- कबीर नाव जरजरी -कबीर
- कबीर निरभै राम जपु -कबीर
- कबीर नौबति आपनी -कबीर
- कबीर पट्टन कारिवाँ -कबीर
- कबीर बादल प्रेम का -कबीर
- कबीर मंदिर ढहि पड़ी -कबीर
- कबीर मंदिर लाख का -कबीर
- कबीर मधि अंग जे को रहै -कबीर
- कबीर यहु तन जात है -कबीर
- कबीर यहु तन जात है, सकै तो लेहु बहोरि -कबीर
- कबीर वार्या नाँव पर -कबीर
- कबीर सतगुर ना मिल्या -कबीर
- कबीर सबद सरीर मैं -कबीर
- कबीर सीतलता भई -कबीर
- कबीर सुपनै रैनि कै -कबीर
- कबीर सुपनैं रैनि कै, पारस जीय मैं छेक -कबीर
- कबीर सूता क्या करै -कबीर
- कबीर सूता क्या करै, गुन गोविंद के गाई -कबीर
- कबीर हद के जीव सौं -कबीर
- कबीर हरदी पीयरी -कबीर
- कबीर हरि की भगति करि -कबीर
- कबीर हरि की भगति बिन -कबीर
- कभी यह घर जो मुझको घर लगा होता -शिवकुमार बिलगरामी
- कमर बांधे हुए चलने को -इंशा अल्ला ख़ाँ
- कमरे की लॉरी -अनूप सेठी
- कमल-दल नैननि की उनमानि -रहीम
- कमला थिर न रहिम कहि -रहीम
- कमी कुछ और है -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- कर कानन कुंडल मोरपखा -रसखान
- करघा -रामधारी सिंह दिनकर
- करत निपुनई गुन बिना -रहीम
- करम करीमाँ लिखि रहा -कबीर
- करम गति टारै नाहिं टरी -कबीर
- करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी -मीरां
- कर्ण-कृष्ण तत्कालीन संवाद -रश्मि प्रभा
- कर्मवीर -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- कल के लिए -कुलदीप शर्मा
- कल नाहिं पड़त जिस -मीरां
- कल सहसा यह सन्देश मिला -भगवतीचरण वर्मा
- कलकत्ता: 300 साल -राजेश जोशी
- कलम, आज उनकी जय बोल -रामधारी सिंह दिनकर
- कलह-कारण -सुभद्रा कुमारी चौहान
- कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानन्दन पंत
- कलि नाम काम तरु रामको -तुलसीदास