कब तुम मोसो[1] पतित उधारो। पतितनि में विख्यात पतित हौं पावन[2] नाम तिहारो॥ बड़े पतित पासंगहु[3] नाहीं, अजमिल[4] कौन बिचारो।[5] भाजै[6] नरक नाम सुनि मेरो, जमनि[7] दियो हठि[8] तारो॥[9] छुद्र पतित तुम तारि रमापति, जिय जु करौ जनि गारो।[10] सूर, पतित कों ठौर कहूं नहिं, है हरि नाम सहारो॥