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'''जानकी वल्लभ शास्त्री''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Janaki Ballabh Shashtri'', जन्म: [[5 फरवरी]] [[1916]] - मृत्यु: [[7 अप्रैल]] [[2011]]) प्रसिद्ध कवि थे। जानकी वल्लभ शास्त्री [[उत्तर प्रदेश]] सरकार ने भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित भी किया है उन थोड़े-से कवियों में रहे हैं, जिन्हें [[हिंदी]] कविता के पाठकों से बहुत मान-सम्मान मिला है। आचार्य का काव्य संसार बहुत ही विविध और व्यापक है। प्रारंभ में उन्होंने संस्कृत में कविताएँ लिखीं। फिर [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|महाकवि निराला]] की प्रेरणा से हिंदी में आए।  
  
 
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जानकी वल्लभ शास्त्री का पहला गीत 'किसने बांसुरी बजाई' बहुत लोकप्रिय हुआ। प्रो. नलिन विमोचन शर्मा ने उन्हें [[जयशंकर प्रसाद|प्रसाद]], [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|निराला]], [[सुमित्रानंदन पंत|पंत]] और [[महादेवी वर्मा|महादेवी]] के बाद पांचवां छायावादी कवि कहा है, लेकिन सचाई यह है कि वे [[भारतेंदु हरिश्चंद्र|भारतेंदु]] और श्रीधर पाठक द्वारा प्रवर्तित और विकसित उस स्वच्छंद धारा के अंतिम कवि थे, जो छायावादी अतिशय लाक्षणिकता और भावात्मक रहस्यात्मकता से मुक्त थी। शास्त्रीजी ने कहानियाँ, काव्य-नाटक, आत्मकथा, संस्मरण, उपन्यास और आलोचना भी लिखी है। उनका उपन्यास 'कालिदास' भी बृहत प्रसिद्ध हुआ था।
 
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'''काव्य संग्रह-''' बाललता, अंकुर , उन्मेष , रूप-अरूप , तीर-तरंग , शिप्रा , अवन्तिका , मेघगीत , गाथा , प्यासी-पृथ्वी , संगम , उत्पलदल , चन्दन वन , शिशिर किरण , हंस किंकिणी , सुरसरी , गीत , वितान , धूपतरी , बंदी मंदिरम्‌
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'''समीक्षा-''' साहित्य दर्शन, त्रयी, प्राच्य साहित्य, स्थायी भाव और सामयिक साहित्य, चिन्ताधारा
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* बाललता
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'''उपन्यास-''' एक किरण : सौ झांइयां, दो तिनकों का घोंसला, अश्वबुद्ध, कालिदास, चाणक्य शिखा (अधूरा)
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* संगम  
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* उत्पलदल  
 
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* चन्दन वन
'''कहानी संग्रह-''' कानन, अपर्णा, लीला कमल, सत्यकाम, बांसों का झुरमुट
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* शिशिर किरण
 
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* हंस किंकिणी  
'''संस्मरण-''' अजन्ता की ओर, निराला के पत्र, स्मृति के वातायन, नाट्य सम्राट पृथ्वीराज कपूर, हंस-बलाका, कर्म क्षेत्रे मरु क्षेत्र, अनकहा निराला  
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* सुरसरी  
 
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* गीत  
==सम्मान==
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* वितान
जानकी वल्लभ शास्त्री राजेंद्र शिखर पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार, शिव सहाय पूजन पुरस्कार आदि से सम्मानित किये गये हैं।
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* धूपतरी
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* बंदी मंदिरम्‌
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;समीक्षा
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साहित्य दर्शन
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जानकी वल्लभ शास्त्री का निधन 7 अप्रैल 2011 में हुआ था।  
 
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13:12, 29 जनवरी 2013 का अवतरण

जानकी वल्लभ शास्त्री
जानकी वल्लभ शास्त्री
पूरा नाम जानकी वल्लभ शास्त्री
जन्म 5 फरवरी 1916
जन्म भूमि गया, बिहार
मृत्यु 7 अप्रैल 2011
मृत्यु स्थान मुज़फ्फरपुर, बिहार
कर्म-क्षेत्र साहित्य
मुख्य रचनाएँ राधा, काकली, कालिदास आदि
भाषा हिन्दी
पुरस्कार-उपाधि राजेंद्र शिखर पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार, शिव सहाय पूजन पुरस्कार
प्रसिद्धि कवि, लेखक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी जानकी वल्लभ शास्त्री का पहला गीत 'किसने बांसुरी बजाई' बहुत लोकप्रिय हुआ।
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

जानकी वल्लभ शास्त्री (अंग्रेज़ी: Janaki Ballabh Shashtri, जन्म: 5 फरवरी 1916 - मृत्यु: 7 अप्रैल 2011) प्रसिद्ध कवि थे। जानकी वल्लभ शास्त्री उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित भी किया है उन थोड़े-से कवियों में रहे हैं, जिन्हें हिंदी कविता के पाठकों से बहुत मान-सम्मान मिला है। आचार्य का काव्य संसार बहुत ही विविध और व्यापक है। प्रारंभ में उन्होंने संस्कृत में कविताएँ लिखीं। फिर महाकवि निराला की प्रेरणा से हिंदी में आए।

जन्म

जानकी वल्लभ शास्त्री का जन्म 5 फरवरी 1916 में बिहार के मैगरा गाँव में हुआ था। इनके पिता स्व. रामानुग्रह शर्मा था। उन्हें पशुओं का पालन करना बहुत पसंद था। उनके यहाँ दर्जनों गउएं, सांड, बछड़े तथा बिल्लियाँ और कुत्ते थे। पशुओं से उन्हें इतना प्रेम था कि गाय क्या, बछड़ों को भी बेचते नहीं थे और उनके मरने पर उन्हें अपने आवास के परिसर में दफ़न करते थे। उनका दाना-पानी जुटाने में उनका परेशान रहना स्वाभाविक था।

शिक्षा

जानकी वल्लभ शास्त्री ने मात्र 11 वर्ष की वय में ही इन्होंने 1927 में बिहार-उड़ीसा की प्रथमा परीक्षा (सरकारी संस्कृत परीक्षा) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। शास्त्री की उपाधि 16 वर्ष की आयु में प्राप्तकर ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चले गए। ये वहां 1932 से 1938 तक रहे। उनकी विधिवत् शिक्षा-दीक्षा तो संस्कृत में ही हुई थी, लेकिन अपने श्रम से उन्होंने अंग्रेज़ी और बांग्ला का प्रभूत ज्ञान प्राप्त किया। वह रवींद्रनाथ के गीत सुनते थे और उन्हें गाते भी थे।

रचना

जानकी वल्लभ शास्त्री का पहला गीत 'किसने बांसुरी बजाई' बहुत लोकप्रिय हुआ। प्रो. नलिन विमोचन शर्मा ने उन्हें प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी के बाद पांचवां छायावादी कवि कहा है, लेकिन सचाई यह है कि वे भारतेंदु और श्रीधर पाठक द्वारा प्रवर्तित और विकसित उस स्वच्छंद धारा के अंतिम कवि थे, जो छायावादी अतिशय लाक्षणिकता और भावात्मक रहस्यात्मकता से मुक्त थी। शास्त्रीजी ने कहानियाँ, काव्य-नाटक, आत्मकथा, संस्मरण, उपन्यास और आलोचना भी लिखी है। उनका उपन्यास 'कालिदास' भी बृहत प्रसिद्ध हुआ था।

काव्य संग्रह
  • बाललता
  • अंकुर
  • उन्मेष
  • रूप-अरूप
  • तीर-तरंग
  • क्षिप्रा
  • अवन्तिका
  • मेघगीत
  • गाथा
  • प्यासी-पृथ्वी
काव्य संग्रह
  • संगम
  • उत्पलदल
  • चन्दन वन
  • शिशिर किरण
  • हंस किंकिणी
  • सुरसरी
  • गीत
  • वितान
  • धूपतरी
  • बंदी मंदिरम्‌
समीक्षा
  • साहित्य दर्शन
  • त्रयी
  • प्राच्य साहित्य
  • स्थायी भाव और सामयिक साहित्य
  • चिन्ताधारा
संगीतिका
  • पाषाणी
  • तमसा
  • इरावती
नाटक
  • देवी
  • ज़िन्दगी
  • आदमी
  • नील-झील
उपन्यास
  • एक किरण : सौ झांइयां
  • दो तिनकों का घोंसला
  • अश्वबुद्ध
  • कालिदास
  • चाणक्य शिखा (अधूरा)
कहानी संग्रह
  • कानन
  • अपर्णा
  • लीला कमल
  • सत्यकाम
  • बांसों का झुरमुट
ग़ज़ल संग्रह
  • सुने कौन नग़मा
महाकाव्य
  • राधा
संस्कृत काव्य
  • काकली
संस्मरण
  • अजन्ता की ओर
  • निराला के पत्र
  • स्मृति के वातायन
  • नाट्य सम्राट पृथ्वीराज कपूर
  • हंस-बलाका
  • कर्म क्षेत्रे मरु क्षेत्र
  • अनकहा निराला
ललित निबंध
  • मन की बात
  • जो न बिक सकीं

सम्मान और पुरस्कार

  • राजेंद्र शिखर पुरस्कार
  • भारत भारती पुरस्कार
  • शिव सहाय पूजन पुरस्कार

निधन

जानकी वल्लभ शास्त्री का निधन 7 अप्रैल 2011 में हुआ था।


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