अत्यन्त वश में किया हुआ चित्त जिस काल में परमात्मा में ही भली-भाँति स्थित हो जाता है, उस काल में सम्पूर्ण भोगों से स्पृहारहित पुरुष योग युक्त है, ऐसा कहा जाता है ।।18।।
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When the mind which is thoroughly disciplined gets riveted on god alone, then the person who is free from yearing for all enjoyments is said to be established in Yoga.(18)
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