हे अर्जुन[1] ! जिसको सन्न्यास ऐसा कहते हैं, उसी को तू योग जान। क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरुष योगी नहीं होता ।।2।।
|
Arjuna, you must know that what they call samnyasa is no other than yoga; for none become a yogi, who has not given up thoughts of the world. (2)
|