"गीता 6:22": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "महत्व" to "महत्त्व") |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
बीसवें, इक्कीसवें और बाईसवें श्लोकों में परमात्मा की प्राप्ति रूप जिस स्थिति के महत्त्व और लक्षणों का वर्णन किया गया, अब उस स्थिति का नाम बतलाते हुए उसे प्राप्त करने के लिये प्रेरणा देते हैं | बीसवें, इक्कीसवें और बाईसवें [[श्लोक|श्लोकों]] में परमात्मा की प्राप्ति रूप जिस स्थिति के महत्त्व और लक्षणों का वर्णन किया गया, अब उस स्थिति का नाम बतलाते हुए उसे प्राप्त करने के लिये प्रेरणा देते हैं | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
पंक्ति 58: | पंक्ति 57: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
06:21, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-22 / Gita Chapter-6 Verse-22
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||