"गीता 10:27": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>')
 
छो (Text replacement - "होनेवाला" to "होने वाला")
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<table class="gita" width="100%" align="left">
<table class="gita" width="100%" align="left">
<tr>
<tr>
पंक्ति 20: पंक्ति 19:
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|


घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जान ।।27।।
घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला [[उच्चै:श्रवा]] नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में [[ऐरावत]] नामक [[हाथी]] और मनुष्यों में राजा मुझको जान ।।27।।


| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
पंक्ति 31: पंक्ति 30:
|-
|-
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
अश्वानाम् = घोड़ों में; अमृतोभ्दवम्  = उत्पत्र होनेवाला; उच्चै:श्रवसम् = उच्चै:श्रवानामक घोड़ा(और); गजेन्द्राणाम् = हाथियों में; ऐरावतम् = ऐरावत नामक हाथी; नराणाम् = मनुष्यों में; नराधिपम् = राजा; माम् = मेरे को(ही); विद्धि = जान  
अश्वानाम् = घोड़ों में; अमृतोभ्दवम्  = उत्पत्र होने वाला; उच्चै:श्रवसम् = उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा(और); गजेन्द्राणाम् = हाथियों में; ऐरावतम् = ऐरावत नामक हाथी; नराणाम् = मनुष्यों में; नराधिपम् = राजा; माम् = मेरे को(ही); विद्धि = जान  
|-
|-
|}
|}
पंक्ति 55: पंक्ति 54:
<tr>
<tr>
<td>
<td>
{{महाभारत}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{गीता2}}
</td>
</td>
</tr>
</tr>
<tr>
<tr>
<td>
<td>
{{गीता2}}
{{महाभारत}}
</td>
</td>
</tr>
</tr>

13:53, 6 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-10 श्लोक-27 / Gita Chapter-10 Verse-27


उच्चै: श्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम् ।
ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम् ।।27।।



घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जान ।।27।।

Among horses, know Me to be the celestial horse Uchchaihsrava, begotten of the churning of the ocean along with nectar; among mighty elephants Aravata (Indra’s elephant); and among men, the king. (27)


अश्वानाम् = घोड़ों में; अमृतोभ्दवम् = उत्पत्र होने वाला; उच्चै:श्रवसम् = उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा(और); गजेन्द्राणाम् = हाथियों में; ऐरावतम् = ऐरावत नामक हाथी; नराणाम् = मनुष्यों में; नराधिपम् = राजा; माम् = मेरे को(ही); विद्धि = जान



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख