"गीता 10:11": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! उनके ऊपर अनुग्रह करने के लिये उनके अन्त:करण में स्थित हुआ मैं स्वयं ही उनके अज्ञान जनित अन्धकार को प्रकाशमय तत्त्वज्ञान रूप [[दीपक]] के द्वारा नष्ट कर देता हूँ ।।11।। | ||
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11:51, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-11 / Gita Chapter-10 Verse-11
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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